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वृन्दावन में ठाकुर जी के 7 प्रमुख मंदिर कौन से हैं?

आध्यात्मिक शहर वृन्दावन की स्थापना मूल रूप से इन मंदिरों के साथ हुई थी, जो विभिन्न गोस्वामियों द्वारा शुरू किए गए थे। और बाद में, कई राजाओं और राजकुमारों ने अपने स्वयं के मंदिर स्थापित किए और इस प्रकार वर्तमान वृन्दावन अब छोटे और बड़े 5000 मंदिरों से भरा हुआ है। …ये 7 प्रमुख मंदिर इस प्रकार हैं:

  1. राधा मदन मोहन मंदिर।
  2. राधा गोविंदा मंदिर।
  3. राधा गोपीनाथ मंदिर।
  4. राधा दामोदर मंदिर।
  5. राधा रमण मंदिर
  6. राधा गोकुलानंद मंदिर
  7. राधा श्यामसुंदर मंदिर

1. राधा मदन मोहन मंदिर: जहां प्रेम की मधुर सुगंध हवा में घुलती है

वृन्दावन, भगवान कृष्ण की लीलाभूमि, ऐसे अनगिनत मंदिरों का घर है, जो उनके दिव्य सार को समेटे हुए हैं। इनमें से एक रत्न है राधा मदन मोहन मंदिर, जहां कला, इतिहास और आध्यात्मिक उन्माद एक साथ मिलकर एक अनुभव प्रदान करते हैं, जो आत्मा को छू लेता है।

1688 में मणिमाला ठाकुर ने इस मंदिर की स्थापना की थी। अपने गुरु स्वामी हरिकिशन देव की इच्छा के अनुरूप, उन्होंने एक ऐसा स्थान बनाया जहां राधा और कृष्ण के पवित्र प्रेम का दर्शन और अनुभव किया जा सके। मंदिर की वास्तुकला ही प्रेम की कविता है। सफेद संगमरमर से बना यह भवन मुगल शैली के प्रभाव को दर्शाता है, लेकिन उसके साथ ही मंदिरों की पारंपरिक वास्तुकला के तत्व भी समाहित हैं। सुंदर आकृतियां और नक्काशी, कृष्ण और राधा की लीलाओं को उकेरती प्रतीत होती हैं।

मुख्य गर्भगृह में विराजमान हैं राधा और मदन मोहन। दोनों की मूर्तियों को काले पत्थर से निर्मित किया गया है, जो उन्हें एक दिव्य चमक प्रदान करती है। राधा अपनी सखियों के साथ खड़ी हैं, कृष्ण उनका प्रिय वंशी बजाए, प्रेम से उन्हें निहार रहे हैं। उनकी आंखों में झलकता स्नेह, हवा में मधुर प्रेम की सुगंध घोल देता है।

मंदिर की दीवारों पर भित्ति चित्र, कृष्ण की राधा के साथ रास-लीला, होली-खेल और उनके प्रेम की अन्य कहानियों को जीवंत करते हैं। हर चित्र से निकलती रंगों की चमक और कलाकार की भावना, देखने वाले को उस लीला में खो जाने का आह्वान करती है।

मंदिर का दैनिक अनुष्ठान भक्तों के लिए आध्यात्मिक अनुभव का एक और आयाम खोलता है। सुबह की मंगला आरती, शाम की आरती, और रात्रि की शयनभोग आरती, प्रेम और भक्ति के मंत्रों से सराबोर होती हैं। भक्तों का जप और नृत्य, मंदिर को दिव्य ऊर्जा से भर देते हैं।

राधा मदन मोहन मंदिर सिर्फ दर्शन और आरती तक ही सीमित नहीं है। मंदिर परिसर में भक्तों के लिए रहने की व्यवस्था, एक पुस्तकालय, और एक गौशाला भी है। ये सुविधाएं आध्यात्मिक यात्रा को और भी समृद्ध बनाती हैं।

कहते हैं, जो भी एक बार राधा मदन मोहन मंदिर आता है, वह फिर यहाँ लौट कर आता है। यह मंदिर प्रेम का ऐसा मंदिर है, जहां प्रेम की महिमा गाई जाती है, जहां प्रेम का अनुभव किया जाता है, और जहां प्रेम में भटकते आत्माओं को शांति मिलती है।

अतः, वृन्दावन के मंदिरों की गिनती में, राधा मदन मोहन मंदिर का अपना ही अनूठा स्थान है। यह सिर्फ मंदिर नहीं, बल्कि प्रेम की एक जीवंत कविता है, जो हर श्वास में कृष्ण और राधा के दिव्य प्रेम का संदेश सुनाती है।

2. वृन्दावन के राजा: राधा गोविंदा मंदिर

वृन्दावन की पावन धरती पर, अनेकों मंदिरों के बीच, एक ऐसा मंदिर विराजमान है जो इतिहास, कला और आस्था का अद्भुत संगम प्रस्तुत करता है – श्री राधा गोविन्द मंदिर। 1590 में मानसिंह प्रथम द्वारा निर्मित, यह मंदिर न सिर्फ अपने भव्य वास्तुकला से भक्तों को मंत्रमुग्ध करता है, बल्कि राधा-गोविन्द की दिव्य जोड़ी के दर्शन से आत्मा को परमानंद से भर देता है।

यह मंदिर सात मंजिला भवन के साथ बना है, जो मुगल और राजपूत शैली का सुंदर सम्मिश्रण प्रस्तुत करता है। भव्य मेहराब और सुडौल छत पर नक्काशी की कलाकृतियां, कृष्ण की लीलाओं का स्मरण दिलाती हैं। मंदिर के बाहर से लेकर गर्भगृह तक, हर कोने में भक्तिभाव झलकता है।

मुख्य आकर्षण है गर्भगृह में विराजमान राधा गोविन्द की दिव्य मूर्तियां। काले पत्थर से निर्मित ये मूर्तियां, दिव्य चमक से जगमगाती हैं। गोविन्द, शंख, चक्र, गदा और पद्म धारण किए खड़े हैं, जबकि राधा उनके दाहिने ओर, मुकुट और अलंकारों से सुसज्जित, कृपा बरसाती हैं। उनकी आंखों में झलकता प्रेम, भक्तों की आत्मा को छू लेता है।

प्रतिदिन की आरतियां इस मंदिर का एक और महत्वपूर्ण आयाम हैं। सुबह की मंगला आरती, घंटियों की मधुर ध्वनि से सराबोर, भक्तों को दिन की शुरुआत भक्तिभाव के साथ करने का अवसर देती है। शाम की आरती, दीपों की जगमगाहट में, दिव्य ऊर्जा से परिपूर्ण होती है। रात की शयनभोग आरती, भजन-कीर्तन के साथ एक शांत और सम्मोहक अनुभव प्रदान करती है।

यह मंदिर सिर्फ धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक केंद्र भी है। मंदिर परिसर में एक संग्रहालय है, जहां मूर्तियों, पांडुलिपियों और कलाकृतियों के माध्यम से इतिहास और परंपरा को प्रदर्शित किया जाता है। पुस्तकालय में धार्मिक ग्रंथों का अनमोल संग्रह है, जो ज्ञान-प्यासी आत्माओं को तृप्त करता है।

कहते हैं, कभी भगवान गोविन्द की मूर्ति वृन्दावन से जयपुर ले जाने का प्रयास किया गया था, लेकिन वह प्रयास असफल रहा। यह मान्यता मंदिर को पवित्र और चमत्कारी बनाती है।

अतः, राधा गोविन्द मंदिर न सिर्फ वृन्दावन के सात ठाकुर मंदिरों में अग्रणी है, बल्कि भक्तों के लिए आस्था, कला और संस्कृति का त्रिवेणी संगम भी है। यहां आने वाला हर व्यक्ति, जीवन में आध्यात्मिक शांति और दिव्य आनंद का अनुभव लेकर लौटता है।

3. राधा गोपीनाथ मंदिर

निश्चित रूप से! वृन्दावन के सात ठाकुर मंदिरों में से एक रमणीय मंदिर है राधा गोपीनाथ मंदिर। 1570 ईस्वी में सनातन गोस्वामी द्वारा निर्मित, यह मंदिर अपने दिव्य वातावरण, सुंदर मूर्तियों और ऐतिहासिक महत्व के कारण भक्तों को आकर्षित करता है।

यह मंदिर लाल बलुआ पत्थर से बना है और गुजराती शैली का प्रभाव दर्शाता है। मंदिर के बाहरी हिस्से पर जटिल नक्काशी और भगवान कृष्ण की लीलाओं को दर्शाते हुए चित्रमाला देखी जा सकती है। मुख्य हॉल में 12 स्तंभ हैं, जिन पर हिंदू पौराणिक कथाओं के दृश्य अंकित हैं। मंदिर का वातावरण शांत और शांत है, जो भक्तों को प्रार्थना और चिंतन में डूबने के लिए आमंत्रित करता है।

मुख्य आकर्षण है गर्भगृह में विराजमान राधा गोपीनाथ की दिव्य मूर्तियां। काले पत्थर से निर्मित ये मूर्तियां, दिव्य चमक से जगमगाती हैं। गोपीनाथ अपने दाहिने हाथ में बांसुरी लिए खड़े हैं, जबकि राधा उनके वाम ओर, मुकुट और अलंकारों से सुसज्जित, कृपा बरसाती हैं। उनकी आंखों में झलकता प्रेम, भक्तों को मंत्रमुग्ध कर देता है।

प्रतिदिन की आरतियां इस मंदिर का एक महत्वपूर्ण आयाम हैं। सुबह की मंगला आरती, घंटियों की मधुर ध्वनि से सराबोर, भक्तों को दिन की शुरुआत भक्तिभाव के साथ करने का अवसर देती है। शाम की आरती, दीपों की जगमगाहट में, दिव्य ऊर्जा से परिपूर्ण होती है। रात की शयनभोग आरती, भजन-कीर्तन के साथ एक शांत और सम्मोहक अनुभव प्रदान करती है।

यह मंदिर सिर्फ धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक केंद्र भी है। मंदिर परिसर में एक पुस्तकालय है, जहां धार्मिक ग्रंथों का अनमोल संग्रह है, जो ज्ञान-प्यासी आत्माओं को तृप्त करता है। मंदिर के चारों ओर बने सुंदर बगीचे भक्तों को शांति का अनुभव प्रदान करते हैं।

कहते हैं, इस मंदिर की गोपीनाथ मूर्ति कभी व्रज से बाहर ले जाने का प्रयास किया गया था, लेकिन रथ अचानक रुक गया और मूर्ति को वापस लाना पड़ा। यह मान्यता मंदिर को पवित्र और चमत्कारी बनाती है।

अतः, राधा गोपीनाथ मंदिर न सिर्फ वृन्दावन के सात ठाकुर मंदिरों में शुमार है, बल्कि भक्तों के लिए आस्था, कला और संस्कृति का संगम भी है। यहां आने वाला हर व्यक्ति, जीवन में आध्यात्मिक शांति और दिव्य आनंद का अनुभव लेकर लौटता है।

4. वृन्दावन का अनमोल रत्न: राधा दामोदर मंदिर

वृन्दावन, जहां कृष्ण की लीलाएं हर कण में बसी हैं, वहां अनेकों मंदिर उनकी दिव्यता का गान करते हैं। ऐसे ही अनमोल रत्नों में से एक है श्री राधा दामोदर मंदिर। 1518 में स्वामी रूप गोस्वामी द्वारा निर्मित, यह मंदिर भक्तों के हृदय में एक विशेष स्थान रखता है।

इस मंदिर की वास्तुकला शांत और सरल है, जो भक्तों को ध्यान और प्रार्थना में डूबने का वातावरण प्रदान करती है। लाल बलुआ पत्थर से निर्मित यह मंदिर, पारंपरिक हिंदू शैली का सुंदर उदाहरण है। मंदिर के मुख्य द्वार पर ही कृष्ण की दिव्य छवि भक्तों का स्वागत करती है।

गर्भगृह के केंद्र में विराजमान हैं राधा दामोदर, जो मंदिर का प्राण हैं। दामोदर रूप में कृष्ण, सात मुखों के साथ खड़े हैं, और उनके दाहिने ओर राधा उनकी प्रिय वंशी बजाती हुईं, असीम प्रेम बरसाती हैं। मूर्तियों का निर्माण काले पत्थर से किया गया है, जो दिव्य चमक के साथ, भक्तों की आंखों को मंत्रमुग्ध कर देता है।

इस मंदिर की प्रसिद्धि दामोदर लीला से जुड़ी है। बचपन में कृष्ण माता-पिता द्वारा खंभे से बांधे गए थे, क्योंकि वह मक्खन चुराते थे। यह मंदिर इसी लीला को समर्पित है। माना जाता है कि जो यहां सच्चे मन से प्रार्थना करता है, उसके जीवन की उलझनें सुलझ जाती हैं।

प्रतिदिन की आरतियां भी भक्तों को आकर्षित करती हैं। सुबह की मंगला आरती, मंदिर को भजन और घंटियों की मधुर ध्वनि से भर देती है। शाम की आरती, शानदार दीपों की रोशनी में, दर्शन के लिए एक अलौकिक अनुभव प्रदान करती है। रात की शयनभोग आरती, भक्तों को एक शांत और आनंदित अवस्था में छोड़ देती है।

मंदिर परिसर में ही गोशाला बना है, जो गायों की सेवा का महत्व दर्शाता है। साथ ही यहां एक धर्मशाला भी है, जो दूर-दूर से आए भक्तों को आश्रय प्रदान करती है।

कहते हैं कि जिसने भी राधा दामोदर के दर्शन किए, उसके जीवन में कृपा होती है। यह मान्यता भक्तों को इस मंदिर की ओर खींचती है।

अतः, श्री राधा दामोदर मंदिर न सिर्फ वृन्दावन के सात ठाकुर मंदिरों में से एक है, बल्कि भक्तों के लिए आस्था का केंद्र, दिव्यता का अनुभव और शांति का स्त्रोत भी है। भगवान कृष्ण का सात मुखों वाला अनूठा रूप और राधा का असीम प्रेम, इसे अन्य मंदिरों से विशिष्ट बनाता है। जो भी इस पवित्र धरा पर कदम रखता है, राधा दामोदर का आशीर्वाद लेकर ही लौटता है।

5. वृन्दावन का मनमोहक मंदिर: राधा रमण मंदिर

वृन्दावन की पावन धरती पर, ऐसे अनगिनत मंदिर हैं, जो भगवान कृष्ण की दिव्यता का गान करते हैं। इन्हीं मंदिरों में से एक मनमोहक रत्न है श्री राधा रमन मंदिर। 1542 में गोपाल भट्ट गोस्वामी द्वारा निर्मित, यह मंदिर न सिर्फ अपनी सुंदर वास्तुकला से भक्तों को मंत्रमुग्ध करता है, बल्कि भगवान कृष्ण के छह मुखों वाले रूप, राधा रमन, के दर्शन से आत्मा को परमानंद से भर देता है।

यह मंदिर वृन्दावन की गली-कूचों में शांति से विराजमान है। सफेद संगमरमर से निर्मित भवन, पारंपरिक मंदिर वास्तुकला का सुंदर उदाहरण है। भवन के ऊपर उठते शिखर और नक्काशीदार मेहराब, भक्तों को प्राचीन मंदिरों की यात्रा पर ले जाते प्रतीत होते हैं। मंदिर के मुख्य द्वार पर ही सुंदर मूर्तियों और कलाकृतियों से भक्तों का स्वागत होता है।

गर्भगृह के केंद्र में विराजमान हैं पावन श्री राधा रमन। छह मुखों वाला यह दिव्य रूप कृष्ण का एक अनूठा और दुर्लभ अवतार है। प्रत्येक मुख, कृष्ण के अलग-अलग रूपों और भावों को दर्शाता है। उनके दाहिने ओर खड़ी हैं उनकी प्रिय राधा, जो असीम प्रेम और कृपा बरसा रही हैं। मूर्तियों का निर्माण काले पत्थर से किया गया है, जो दिव्य चमक के साथ, भक्तों की आंखों को मंत्रमुग्ध कर देता है।

इस मंदिर की प्रसिद्धि राधा रमन के स्वरूप से जुड़ी है। कहते हैं कि इस मूर्ति ने स्वामी गोपाल भट्ट गोस्वामी की प्रार्थना सुनकर वृन्दावन में रहने का निश्चय किया था। माना जाता है कि जो सच्चे मन से राधा रमन के दर्शन करते हैं, उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

प्रतिदिन की आरतियां भी मंदिर के आकर्षण को बढ़ाती हैं। सुबह की मंगला आरती, भजन और घंटियों की मधुर ध्वनि से मंदिर का वातावरण दिव्य हो जाता है। शाम की आरती, शानदार दीपों की रोशनी में, दर्शन के लिए एक अलौकिक अनुभव प्रदान करती है। रात की शयनभोग आरती, भक्तों को शांति और आनंद की गहरी नींद में सुला देती है।

मंदिर परिसर में ही एक सुंदर बगीचा बना है, जो प्रकृति की शांति का अनुभव प्रदान करता है। साथ ही यहां एक पुस्तकालय भी है, जो भक्तों को धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करने का अवसर देता है।

अतः, श्री राधा रमन मंदिर न सिर्फ वृन्दावन के सात ठाकुर मंदिरों में से एक है, बल्कि भक्तों के लिए आस्था का केंद्र, दिव्यता का अनुभव और शांति का स्त्रोत भी है। भगवान कृष्ण का छह मुखों वाला अनूठा रूप और राधा का असीम प्रेम, इसे अन्य मंदिरों से विशिष्ट बनाता है। जो भी इस पवित्र धरा पर कदम रखता है, राधा रमन का आशीर्वाद लेकर ही लौटता है।

6. राधा गोकुलानंद मंदिर

निश्चित रूप से! वृन्दावन के सात ठाकुर मंदिरों में से एक और रमणीय मंदिर है राधा गोकुलांनंद मंदिर। हालांकि यह मंदिर अन्य मंदिरों की तरह प्राचीन नहीं है, फिर भी इसकी अपनी एक खासियत और आकर्षण है। 1959 में बंसी बिहारी गोस्वामी द्वारा निर्मित, यह मंदिर भक्तों को कृष्ण के बाल लीलाओं की मनमोहक झलकियां दिखाता है और उनके बचपन की निश्छलता का अनुभव कराता है।

यह मंदिर गुलाबी बलुआ पत्थर से बना है और राजपूत शैली की वास्तुकला का सुंदर उदाहरण है। मंदिर के बाहर बने सुंदर मेहराब और झरोखे, भक्तों का स्वागत करते हैं। मंदिर के चारों ओर बना बगीचा, शांति और प्रकृति का अनुभव प्रदान करता है।

मुख्य आकर्षण है गर्भगृह में विराजमान राधा गोकुलांनंद की मनमोहक मूर्तियां। काले पत्थर से निर्मित ये मूर्तियां, दिव्य चमक से जगमगाती हैं। गोकुलांनंद रूप में कृष्ण, एक गाय का बछड़ा गोद में लिए खड़े हैं, जैसे किसी बालक की तरह खेल रहे हों। राधा उनके दाहिने ओर खड़ी हैं, उनके चेहरे पर मातृत्व और प्रेम का भाव झलक रहा है। यह दृश्य भक्तों को कृष्ण के बचपन की निश्छलता और असीम प्रेम से जोड़ देता है।

प्रतिदिन की आरतियां भी भक्तों को आकर्षित करती हैं। सुबह की मंगला आरती, मंदिर को भजन और मृदंग की ध्वनि से भर देती है। शाम की आरती, रंगीन फूलों से सजाए हुए मंदिर में, एक दिव्य और आनंदमय अनुभव प्रदान करती है। रात की शयनभोग आरती, भक्तों को एक शांत और सुकून भरी नींद में सुला देती है।

मंदिर परिसर में ही एक पुस्तकालय है, जहां भक्तों को धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करने का अवसर मिलता है। साथ ही यहां एक धर्मशाला भी है, जो दूर-दूर से आए भक्तों को आश्रय प्रदान करती है।

कहते हैं कि राधा गोकुलांनंद मंदिर में प्रार्थना करने से, जीवन में खुशियां और आनंद आता है। यह मान्यता भक्तों को इस मंदिर की ओर खींचती है।

अतः, राधा गोकुलांनंद मंदिर न सिर्फ वृन्दावन के सात ठाकुर मंदिरों में शुमार है, बल्कि भक्तों के लिए आस्था का केंद्र, दिव्यता का अनुभव और शांति का स्त्रोत भी है। कृष्ण के बचपन की निश्छलता और राधा का मातृत्व प्रेम, इसे अन्य मंदिरों से विशिष्ट बनाता है। जो भी इस पवित्र धरा पर कदम रखता है, राधा गोकुलांनंद का आशीर्वाद लेकर ही लौटता है।

7. वृन्दावन का मनमोहक मणि: श्री राधा श्यामसुंदर मंदिर

वृन्दावन की पावन धरती, जहां कृष्ण की लीलाएं हर कण में बसी हैं, वहां अनगिनत मंदिर उनके दिव्य सार को समेटे हुए हैं। इनमें से एक मनमोहक मणि है श्री राधा श्यामसुंदर मंदिर। 1675 में रूप सनातन गोस्वामी द्वारा निर्मित, यह मंदिर न सिर्फ अपनी सुंदर वास्तुकला से भक्तों को मंत्रमुग्ध करता है, बल्कि भगवान कृष्ण के चार-भुजाधारी श्यामसुंदर रूप और उनकी प्रिया राधा के दर्शन से आत्मा को परमानंद से भर देता है।

यह मंदिर वृन्दावन के घनी गलियों में छिपा हुआ सा खजाना है। लाल बलुआ पत्थर से बना मंदिर, पारंपरिक मंदिर वास्तुकला का सुंदर उदाहरण है। भवन के ऊपर उठते शिखर और नक्काशीदार मेहराब, भक्तों को प्राचीन मंदिरों की यात्रा पर ले जाते प्रतीत होते हैं। मंदिर के मुख्य द्वार पर ही सुंदर मूर्तियों और कलाकृतियों से भक्तों का स्वागत होता है।

गर्भगृह के केंद्र में विराजमान हैं दिव्य श्री राधा श्यामसुंदर। चार-भुजाधारी श्यामसुंदर रूप में कृष्ण, एक हाथ में बांसुरी, दूसरे में कमल, तीसरे में गदा और चौथे में सुदर्शन चक्र धारण किए खड़े हैं। उनकी मुद्रा में दृढ़ता और शांति का संगम है। राधा उनके दाहिने ओर खड़ी हैं, उनके चेहरे पर प्रेम और कृपा का भाव झलक रहा है। मूर्तियों का निर्माण काले पत्थर से किया गया है, जो दिव्य चमक के साथ, भक्तों की आंखों को मंत्रमुग्ध कर देता है।

इस मंदिर की प्रसिद्धि श्यामसुंदर के स्वरूप से जुड़ी है। कहते हैं कि इस मूर्ति ने स्वामी रूप सनातन गोस्वामी की प्रार्थना सुनकर वृन्दावन में रहने का निश्चय किया था। माना जाता है कि जो सच्चे मन से श्यामसुंदर के दर्शन करते हैं, उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

प्रतिदिन की आरतियां भी मंदिर के आकर्षण को बढ़ाती हैं। सुबह की मंगला आरती, भजन और घंटियों की मधुर ध्वनि से मंदिर का वातावरण दिव्य हो जाता है। शाम की आरती, शानदार दीपों की रोशनी में, दर्शन के लिए एक अलौकिक अनुभव प्रदान करती है। रात की शयनभोग आरती, भक्तों को शांति और आनंद की गहरी नींद में सुला देती है।

मंदिर परिसर में ही एक सुंदर बगीचा बना है, जो प्रकृति की शांति का अनुभव प्रदान करता है। साथ ही यहां एक पुस्तकालय भी है, जो भक्तों को धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करने का अवसर देता है।

अतः, श्री राधा श्यामसुंदर मंदिर न सिर्फ वृन्दावन के सात ठाकुर मंदिरों में से एक है, बल्कि भक्तों के लिए आस्था का केंद्र, दिव्यता का अनुभव और शांति का स्त्रोत भी है। भगवान कृष्ण के चार-भुजाधारी श्यामसुंदर रूप और राधा का असीम प्रेम, इसे अन्य मंदिरों से विशिष्ट बनाता है। जो भी इस पवित्र धरा पर कदम रखता है, राधा श्यामसुंदर का आशीर्वाद लेकर ही लौटता है।

आशा है आपको यह लेख पसंद आया होगा। यदि आप मथुरा और वृन्दावन की यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो ये लेख आपकी मदद करेगा।

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