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Lingaraja Temple Bhuvneshwar-12

भारत का मंदिरों का शहर कौन सा है और हम इसे मंदिरों का शहर क्यों कहते हैं

भारत में मंदिरों के शहर के रूप में जाना जाता है – भुवनेश्वर (Bhubaneswar)

भुवनेश्वर को “मंदिरों का शहर” इस लिए कहा जाता है क्योंकि यहाँ सैकड़ों की संख्या में प्राचीन मंदिर हैं। इनमें से कुछ मंदिर छठी और ग्यारहवीं शताब्दी के हैं। यह शहर हिन्दू धर्म के लिए एक महत्वपूर्ण केन्द्र माना जाता है और यहाँ साल भर देशभर से श्रद्धालु आते हैं।

आइए, भुवनेश्वर के 10 प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में विस्तार से जानें:

1. लिंगराज मंदिर भुवनेश्वर:

इतिहास (History)

  • लिंगराज मंदिर, भगवान शिव को समर्पित, भुवनेश्वर, ओडिशा में स्थित है।
  • यह मंदिर 7वीं शताब्दी का माना जाता है, और इसका निर्माण सोमवंशी राजा यायाति ने करवाया था।
  • 12वीं शताब्दी में, राजा अनंगभिमदेव ने मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था।
  • यह मंदिर कलिंग वास्तुकला शैली का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।

वास्तुकला (Architecture)

  • लिंगराज मंदिर चार भागों में विभाजित है: गर्भगृह, यज्ञशाला, भोग मंडप और नाट्यशाला।
  • गर्भगृह में भगवान शिव का ज्योतिर्लिंग स्थापित है।
  • मंदिर की बाहरी दीवारों पर देवी-देवताओं, पौराणिक कहानियों और ज्यामितीय आकृतियों की जटिल नक्काशी देखी जा सकती है।
  • मंदिर का विमान (शिखर) 150 फीट ऊँचा है और 16 कलाओं से सुसज्जित है।

मान्यताएं (Beliefs)

  • लिंगराज मंदिर को भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है।
  • ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव यहां ईश्वर रूप में विराजमान हैं।
  • मंदिर में दर्शन करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
  • हर साल, लाखों श्रद्धालु रथ यात्रा उत्सव में भाग लेने के लिए भुवनेश्वर आते हैं।

अन्य रोचक तथ्य:

  • लिंगराज मंदिर पंचदेउल शैली में बना है, जिसमें पांच अलग-अलग आकार के शिखर होते हैं।
  • मंदिर परिसर में कई छोटे-छोटे मंदिर भी हैं, जो भगवान विष्णु, देवी दुर्गा, और अन्य देवी-देवताओं को समर्पित हैं।
  • लिंगराज मंदिर ओडिशा का सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है और यह राज्य की संस्कृति और विरासत का प्रतीक है।
rajarani temple Bhubaneswar Odisha 12

2. राजरानी मंदिर, भुवनेश्वर:

इतिहास (History)

  • राजरानी मंदिर, जिसे प्रेम मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, भुवनेश्वर, ओडिशा में स्थित एक हिंदू मंदिर है।
  • यह मंदिर 11वीं शताब्दी का माना जाता है, और इसका निर्माण सोमवंशी राजा भवदेव ने करवाया था।
  • मंदिर का नाम राजा, रानी और राजकुमारी नामक तीन मूर्तियों के नाम पर रखा गया है, जो मंदिर परिसर में स्थापित हैं।
  • यह मंदिर कलिंग वास्तुकला शैली का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।

वास्तुकला (Architecture)

  • राजरानी मंदिर रेखा शैली में बना है, जिसमें एक ऊँचा शिखर होता है।
  • मंदिर की बाहरी दीवारों पर देवी-देवताओं, मिथकों और पौराणिक कहानियों की जटिल नक्काशी देखी जा सकती है।
  • मंदिर में नृत्य मंडप भी है, जहाँ नृत्य प्रदर्शन किए जाते थे।
  • मंदिर का निर्माण लाल बलुआ पत्थर से किया गया है।

मान्यताएं (Beliefs)

  • राजरानी मंदिर देवी ललिता को समर्पित है।
  • ऐसा माना जाता है कि मंदिर में दर्शन करने से भक्तों को प्रेम, समृद्धि और सौभाग्य प्राप्त होता है।
  • मंदिर युवा जोड़ों के बीच विशेष रूप से लोकप्रिय है।
  • हर साल वसंत पंचमी के अवसर पर मंदिर में उत्सव मनाया जाता है।

अन्य रोचक तथ्य:

  • राजरानी मंदिर यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है।
  • यह मंदिर ओडिशा के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है।
  • मंदिर परिसर में एक संग्रहालय भी है, जहाँ मंदिर से जुड़ी कलाकृतियां और मूर्तियां प्रदर्शित की गई हैं।

राजरानी मंदिर न केवल अपनी सुंदर वास्तुकला और जटिल नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि प्रेम और भक्ति का प्रतीक भी है।

Parsurameswara Temple bhubaneswar odisha 12

3. परशुरामेश्वर मंदिर, भुवनेश्वर:

इतिहास (History)

  • परशुरामेश्वर मंदिर, भगवान शिव को समर्पित, भुवनेश्वर, ओडिशा में स्थित एक हिंदू मंदिर है।
  • यह मंदिर 7वीं-8वीं शताब्दी का माना जाता है, और इसका निर्माण सोमवंशी राजा नरेन्द्रदेव ने करवाया था।
  • मंदिर का नाम परशुराम, भगवान विष्णु के छठे अवतार के नाम पर रखा गया है।
  • ऐसा माना जाता है कि भगवान परशुराम ने इस स्थान पर भगवान शिव की पूजा की थी।
  • यह मंदिर कलिंग वास्तुकला शैली का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।

वास्तुकला (Architecture)

  • परशुरामेश्वर मंदिर रेखा शैली में बना है, जिसमें एक ऊँचा शिखर होता है।
  • मंदिर की बाहरी दीवारों पर देवी-देवताओं, मिथकों और पौराणिक कहानियों की जटिल नक्काशी देखी जा सकती है।
  • मंदिर में नृत्य मंडप भी है, जहाँ नृत्य प्रदर्शन किए जाते थे।
  • मंदिर का निर्माण लाल बलुआ पत्थर से किया गया है।

मान्यताएं (Beliefs)

  • परशुरामेश्वर मंदिर भगवान शिव के ग्रह रक्षक रूप केतु को समर्पित है।
  • ऐसा माना जाता है कि मंदिर में दर्शन करने से भक्तों को ग्रहों के दोषों से मुक्ति मिलती है।
  • मंदिर शिक्षा और ज्ञान का प्रतीक भी माना जाता है।
  • हर साल शिवरात्रि के अवसर पर मंदिर में उत्सव मनाया जाता है।

अन्य रोचक तथ्य:

  • परशुरामेश्वर मंदिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षित है।
  • यह मंदिर भुवनेश्वर के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है।
  • मंदिर परिसर में एक संग्रहालय भी है, जहाँ मंदिर से जुड़ी कलाकृतियां और मूर्तियां प्रदर्शित की गई हैं।

परशुरामेश्वर मंदिर न केवल अपनी सुंदर वास्तुकला और जटिल नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि आध्यात्मिकता और ज्ञान का प्रतीक भी है।

Mukteswara Temple bhubaneswar odisha 12

4. मुक्तेश्वर मंदिर, भुवनेश्वर:

इतिहास (History)

  • मुक्तेश्वर मंदिर, भगवान शिव को समर्पित, भुवनेश्वर, ओडिशा में स्थित एक हिंदू मंदिर है।
  • यह मंदिर 10वीं शताब्दी का माना जाता है, और इसका निर्माण सोमवंशी राजा ललितेश्वर ने करवाया था।
  • मंदिर का नाम मुक्तेश्वर, भगवान शिव के मुक्ति रूप के नाम पर रखा गया है।
  • ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव ने यहां ऋषि मुक्तिनाथ को मोक्ष प्रदान किया था।
  • यह मंदिर कलिंग वास्तुकला शैली का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।

वास्तुकला (Architecture)

  • मुक्तेश्वर मंदिर रेखा शैली में बना है, जिसमें एक ऊँचा शिखर होता है।
  • मंदिर की बाहरी दीवारों पर देवी-देवताओं, अप्सराओं, मिथकों और पौराणिक कहानियों की जटिल नक्काशी देखी जा सकती है।
  • मंदिर में नृत्य मंडप भी है, जहाँ नृत्य प्रदर्शन किए जाते थे।
  • मंदिर का निर्माण लाल बलुआ पत्थर से किया गया है।

मान्यताएं (Beliefs)

  • मुक्तेश्वर मंदिर भगवान शिव के प्रकाश रूप सोमनाथ को समर्पित है।
  • ऐसा माना जाता है कि मंदिर में दर्शन करने से भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • मंदिर ज्ञान और बुद्धिमत्ता का प्रतीक भी माना जाता है।
  • हर साल शिवरात्रि के अवसर पर मंदिर में उत्सव मनाया जाता है।

अन्य रोचक तथ्य:

  • मुक्तेश्वर मंदिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षित है।
  • यह मंदिर भुवनेश्वर के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है।
  • मंदिर परिसर में एक संग्रहालय भी है, जहाँ मंदिर से जुड़ी कलाकृतियां और मूर्तियां प्रदर्शित की गई हैं।

मुक्तेश्वर मंदिर न केवल अपनी सुंदर वास्तुकला और जटिल नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि आध्यात्मिकता और ज्ञान का प्रतीक भी है।

Brahmeswara Temple bhubaneswar odisha 12

5. ब्रह्मेश्वर मंदिर, भुवनेश्वर:

इतिहास (History)

  • ब्रह्मेश्वर मंदिर, भगवान ब्रह्मा को समर्पित, भुवनेश्वर, ओडिशा में स्थित एक हिंदू मंदिर है।
  • यह मंदिर 8वीं-9वीं शताब्दी का माना जाता है, और इसका निर्माण सोमवंशी राजा जगदेव ने करवाया था।
  • यह मंदिर भुवनेश्वर में ब्रह्मा को समर्पित एकमात्र प्रमुख मंदिर है, जो इसे अद्वितीय बनाता है।
  • मंदिर कलिंग वास्तुकला शैली का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।

वास्तुकला (Architecture)

  • ब्रह्मेश्वर मंदिर रेखा शैली में बना है, जिसमें एक ऊँचा शिखर होता है।
  • मंदिर की बाहरी दीवारों पर देवी-देवताओं, मिथकों और पौराणिक कहानियों की जटिल नक्काशी देखी जा सकती है।
  • मंदिर में नृत्य मंडप भी है, जहाँ नृत्य प्रदर्शन किए जाते थे।
  • मंदिर का निर्माण लाल बलुआ पत्थर से किया गया है।

मान्यताएं (Beliefs)

  • ब्रह्मेश्वर मंदिर सृष्टि के देवता भगवान ब्रह्मा को समर्पित है।
  • ऐसा माना जाता है कि मंदिर में दर्शन करने से भक्तों को ज्ञान और सृजनशीलता की प्राप्ति होती है।
  • मंदिर शिक्षा और बुद्धि का प्रतीक भी माना जाता है।
  • हर साल ब्रह्मोत्सव के अवसर पर मंदिर में उत्सव मनाया जाता है।

अन्य रोचक तथ्य:

  • ब्रह्मेश्वर मंदिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षित है।
  • यह मंदिर भुवनेश्वर के शांत और मनोरम मंदिरों में से एक है।
  • मंदिर परिसर में एक सरोवर भी है, जो मंदिर की सुंदरता को और बढ़ाता है।

ब्रह्मेश्वर मंदिर न केवल अपनी सुंदर वास्तुकला और जटिल नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि ज्ञान, सृजनशीलता और आध्यात्मिकता का प्रतीक भी है।

Vaital Deul Temple bhubaneswar odisha 12

6. वैताल देउल, भुवनेश्वर:

इतिहास (History)

  • वैताल देउल, जिसे देवी शीतला को समर्पित तंत्र मंदिर के रूप में भी जाना जाता है, भुवनेश्वर, ओडिशा में स्थित एक हिंदू मंदिर है।
  • यह मंदिर 8वीं शताब्दी का माना जाता है, और इसका निर्माण सोमवंशी राजा ललितेश्वर ने करवाया था।
  • मंदिर का नाम वैताल, भूत-प्रेतों के योद्धाओं के नाम पर रखा गया है।
  • ऐसा माना जाता है कि तंत्र साधना के लिए यह मंदिर विशेष रूप से प्रसिद्ध था।
  • यह मंदिर कलिंग वास्तुकला शैली का एक अद्वितीय उदाहरण है।

वास्तुकला (Architecture)

  • वैताल देउल अपनी असामान्य त्रिशूल जैसी छत के लिए जाना जाता है।
  • मंदिर की बाहरी दीवारों पर देवी-देवताओं, दानवों, अप्सराओं और ज्यामितीय आकृतियों की जटिल नक्काशी देखी जा सकती है।
  • मंदिर का निर्माण लाल बलुआ पत्थर से किया गया है।
  • मंदिर परिसर में कई छोटे-छोटे मंदिर भी हैं, जो अन्य देवी-देवताओं को समर्पित हैं।

मान्यताएं (Beliefs)

  • वैताल देउल देवी शीतला, रोगों और महामारियों की देवी को समर्पित है।
  • ऐसा माना जाता है कि मंदिर में दर्शन करने से भक्तों को रोगों से मुक्ति मिलती है।
  • मंदिर तंत्र साधना और अलौकिक शक्तियों का प्रतीक भी माना जाता है।
  • हर साल चैत्र पूर्णिमा के अवसर पर मंदिर में उत्सव मनाया जाता है।

अन्य रोचक तथ्य:

  • वैताल देउल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षित है।
  • यह मंदिर भुवनेश्वर के सबसे पुराने और सबसे रहस्यमय मंदिरों में से एक है।
  • मंदिर परिसर में एक संग्रहालय भी है, जहाँ मंदिर से जुड़ी कलाकृतियां और मूर्तियां प्रदर्शित की गई हैं।

वैताल देउल न केवल अपनी अद्वितीय वास्तुकला और जटिल नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि आध्यात्मिकता, तंत्र और रहस्य का प्रतीक भी है।

Siddheswara Temple bhubaneswar odisha 12

7. सिद्धेश्वर मंदिर, भुवनेश्वर

सिद्धेश्वर मंदिर, भगवान शिव को समर्पित, भुवनेश्वर, ओडिशा में स्थित एक हिंदू मंदिर है। यह मंदिर 8वीं शताब्दी का माना जाता है, और इसका निर्माण सोमवंशी राजा जगदेव ने करवाया था।

यह मंदिर भुवनेश्वर के प्रमुख मंदिरों में से एक है और कलिंग वास्तुकला शैली का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।

इतिहास (History)

  • मंदिर का उल्लेख 8वीं शताब्दी के कई ताम्रपत्रों में मिलता है।
  • 12वीं शताब्दी में, राजा अनंगभिमदेव ने मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था।
  • 16वीं शताब्दी में, मुगल आक्रमणकारियों ने मंदिर को क्षतिग्रस्त कर दिया था।
  • 19वीं शताब्दी में, ब्रिटिश सरकार द्वारा मंदिर की मरम्मत करवाई गई थी।

वास्तुकला (Architecture)

  • सिद्धेश्वर मंदिर रेखा शैली में बना है, जिसमें एक ऊँचा शिखर होता है।
  • मंदिर की बाहरी दीवारों पर देवी-देवताओं, मिथकों और पौराणिक कहानियों की जटिल नक्काशी देखी जा सकती है।
  • मंदिर में नृत्य मंडप भी है, जहाँ नृत्य प्रदर्शन किए जाते थे।
  • मंदिर का निर्माण लाल बलुआ पत्थर से किया गया है।

मान्यताएं (Beliefs)

  • सिद्धेश्वर मंदिर भगवान शिव के ग्रह रक्षक रूप राहु को समर्पित है।
  • ऐसा माना जाता है कि मंदिर में दर्शन करने से भक्तों को ग्रहों के दोषों से मुक्ति मिलती है।
  • मंदिर शिक्षा और ज्ञान का प्रतीक भी माना जाता है।
  • हर साल शिवरात्रि के अवसर पर मंदिर में उत्सव मनाया जाता है।

अन्य रोचक तथ्य:

  • सिद्धेश्वर मंदिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षित है।
  • यह मंदिर भुवनेश्वर के लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है।
  • मंदिर परिसर में एक संग्रहालय भी है, जहाँ मंदिर से जुड़ी कलाकृतियां और मूर्तियां प्रदर्शित की गई हैं।

सिद्धेश्वर मंदिर न केवल अपनी सुंदर वास्तुकला और जटिल नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि आध्यात्मिकता, ज्ञान और ग्रहों से जुड़ी मान्यताओं का प्रतीक भी है।

Ananta Gada Temple bhubaneswar odisha 12

8. अंतागढ़ मंदिर भुवनेश्वर:

इतिहास:

अंतागढ़ मंदिर, जिसे भगवान शिव को समर्पित लिंगराज मंदिर भी कहा जाता है, 11वीं शताब्दी का एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है जो भुवनेश्वर, ओडिशा, भारत में स्थित है। यह मंदिर सोमवंशी राजाओं द्वारा बनवाया गया था और अपनी भव्य वास्तुकला और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है।

वास्तुकला:

अंतागढ़ मंदिर, Kalinga शैली में निर्मित, ओडिशा के सबसे महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है। यह मंदिर रेत के पत्थरों से बना है और इसमें तीन मुख्य भाग हैं: गर्भगृह, ज्योत्सिरलिंग, और मुखमंडप। गर्भगृह में भगवान शिव का ज्योतिर्लिंग स्थापित है, ज्योत्सिरलिंग 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। मुखमंडप में भगवान गणेश और भगवान कार्तिकेय की मूर्तियां हैं। मंदिर की बाहरी दीवारों पर देवी-देवताओं और राक्षसों की मूर्तियां उकेरी गई हैं।

मान्यताएं:

अंतागढ़ मंदिर से जुड़ी कई धार्मिक मान्यताएं हैं। कहा जाता है कि जो भी भक्त भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग की पूजा करता है, उसकी सभी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं। यह भी माना जाता है कि मंदिर में भगवान शिव के दर्शन करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष प्राप्त होता है।

मंदिर दर्शन:

अंतागढ़ मंदिर प्रतिदिन सुबह 5 बजे से शाम 7 बजे तक खुला रहता है। मंदिर में प्रवेश शुल्क ₹5 है। मंदिर तक पहुंचने के लिए, आप भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन या बस स्टैंड से ऑटो या टैक्सी ले सकते हैं।

यहां कुछ अतिरिक्त जानकारी दी गई है जो आपके लिए उपयोगी हो सकती है:

  • मंदिर परिसर में एक पवित्र कुंड भी है, जिसे “अंतागढ़ कुंड” कहा जाता है। माना जाता है कि इस कुंड में स्नान करने से पापों का नाश होता है।
  • मंदिर में हर साल कई त्यौहार मनाए जाते हैं, जिनमें महाशिवरात्रि, रथ यात्रा और नवरात्रि शामिल हैं।
  • मंदिर के पास कई दुकानें हैं जहाँ आप धार्मिक वस्तुएं और स्मृति चिन्ह खरीद सकते हैं।

अंतागढ़ मंदिर भुवनेश्वर की यात्रा आपके लिए एक अविस्मरणीय अनुभव होगी।

Megheswara Temple bhubaneswar odisha 12

9. मेघेश्वर मंदिर, भुवनेश्वर:

इतिहास:

मेघेश्वर मंदिर, जिसे भगवान शिव को समर्पित भी कहा जाता है, भुवनेश्वर, ओडिशा, भारत में स्थित 8वीं शताब्दी का एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। यह मंदिर सोमवंशी राजाओं द्वारा बनवाया गया था और अपनी भव्य वास्तुकला और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है।

वास्तुकला:

मेघेश्वर मंदिर, Kalinga शैली में निर्मित, ओडिशा के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। यह मंदिर रेत के पत्थरों से बना है और इसमें तीन मुख्य भाग हैं: गर्भगृह, ज्योतिर्लिंग, और मुखमंडप। गर्भगृह में भगवान शिव का ज्योतिर्लिंग स्थापित है। मुखमंडप में भगवान गणेश और भगवान कार्तिकेय की मूर्तियां हैं। मंदिर की बाहरी दीवारों पर देवी-देवताओं और राक्षसों की मूर्तियां उकेरी गई हैं।

मान्यताएं:

मेघेश्वर मंदिर से जुड़ी कई धार्मिक मान्यताएं हैं। कहा जाता है कि जो भी भक्त भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग की पूजा करता है, उसकी सभी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं। यह भी माना जाता है कि मंदिर में भगवान शिव के दर्शन करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष प्राप्त होता है।

मंदिर दर्शन:

मेघेश्वर मंदिर प्रतिदिन सुबह 6 बजे से शाम 7 बजे तक खुला रहता है। मंदिर में प्रवेश शुल्क ₹3 है। मंदिर तक पहुंचने के लिए, आप भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन या बस स्टैंड से ऑटो या टैक्सी ले सकते हैं।

यहां कुछ अतिरिक्त जानकारी दी गई है जो आपके लिए उपयोगी हो सकती है:

  • मंदिर परिसर में एक पवित्र कुंड भी है, जिसे “मेघेश्वर कुंड” कहा जाता है। माना जाता है कि इस कुंड में स्नान करने से पापों का नाश होता है।
  • मंदिर में हर साल कई त्यौहार मनाए जाते हैं, जिनमें महाशिवरात्रि, रथ यात्रा और नवरात्रि शामिल हैं।
  • मंदिर के पास कई दुकानें हैं जहाँ आप धार्मिक वस्तुएं और स्मृति चिन्ह खरीद सकते हैं।

मेघेश्वर मंदिर भुवनेश्वर की यात्रा आपके लिए एक अविस्मरणीय अनुभव होगी।

Yogini Temple bhubaneswar odisha 12

10. योगिनी मंदिर, भुवनेश्वर:

इतिहास:

योगिनी मंदिर, भुवनेश्वर, ओडिशा, भारत में स्थित 8वीं शताब्दी का एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। यह मंदिर देवी चंडी को समर्पित है और अपनी अनोखी वास्तुकला और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है।

वास्तुकला:

योगिनी मंदिर, Kalinga शैली में निर्मित, ओडिशा के सबसे महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है। यह मंदिर रेत के पत्थरों से बना है और इसमें तीन मुख्य भाग हैं: गर्भगृह, ज्योत्सिरलिंग, और मुखमंडप। गर्भगृह में देवी चंडी की मूर्ति स्थापित है। मुखमंडप में भगवान गणेश और भगवान कार्तिकेय की मूर्तियां हैं। मंदिर की बाहरी दीवारों पर देवी-देवताओं और राक्षसों की मूर्तियां उकेरी गई हैं।

मान्यताएं:

योगिनी मंदिर से जुड़ी कई धार्मिक मान्यताएं हैं। कहा जाता है कि जो भी भक्त देवी चंडी की पूजा करता है, उसकी सभी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं। यह भी माना जाता है कि मंदिर में देवी चंडी के दर्शन करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष प्राप्त होता है।

मंदिर दर्शन:

योगिनी मंदिर प्रतिदिन सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक खुला रहता है। मंदिर में प्रवेश शुल्क ₹2 है। मंदिर तक पहुंचने के लिए, आप भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन या बस स्टैंड से ऑटो या टैक्सी ले सकते हैं।

यहां कुछ अतिरिक्त जानकारी दी गई है जो आपके लिए उपयोगी हो सकती है:

  • मंदिर परिसर में एक पवित्र कुंड भी है, जिसे “योगिनी कुंड” कहा जाता है। माना जाता है कि इस कुंड में स्नान करने से पापों का नाश होता है।
  • मंदिर में हर साल कई त्यौहार मनाए जाते हैं, जिनमें नवरात्रि और दुर्गा पूजा शामिल हैं।
  • मंदिर के पास कई दुकानें हैं जहाँ आप धार्मिक वस्तुएं और स्मृति चिन्ह खरीद सकते हैं।

योगिनी मंदिर भुवनेश्वर की यात्रा आपके लिए एक अविस्मरणीय अनुभव होगी।

अगर आपके योगिनी मंदिर से जुड़े कोई अन्य प्रश्न हैं, तो मुझे पूछने में संकोच न करें।

ध्यान दें:

  • यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि योगिनी मंदिर में प्रवेश केवल हिंदुओं के लिए ही है।
  • मंदिर में प्रवेश करते समय उचित वेशभूषा पहनना भी महत्वपूर्ण है।

मुझे उम्मीद है कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी।

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