दक्षिण भारत मंदिरों का खजाना है। ये मंदिर न केवल धार्मिक स्थल हैं, बल्कि कला, वास्तुकला और इतिहास के धनी स्रोत भी हैं। यहाँ दक्षिण भारत के 10 ऐसे मंदिरों की सूची है जिनको आप 2024 में जरूर दर्शन करें:
1. तिरुपति वेंकटेश्वर मंदिर, आंध्र प्रदेश
तिरुपति वेंकटेश्वर मंदिर, जिसे श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर भी कहा जाता है, आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। यह भगवान विष्णु के अवतार भगवान वेंकटेश्वर को समर्पित है और इसे दुनिया के सबसे अमीर और सबसे अधिक देखे जाने वाले मंदिरों में से एक माना जाता है।
इतिहास:
- 10वीं-13वीं शताब्दी: मंदिर का निर्माण 10वीं और 13वीं शताब्दी के बीच विजयनगर साम्राज्य के शासकों द्वारा किया गया था।
- धार्मिक महत्व: यह मंदिर वैष्णव संप्रदाय के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। भगवान वेंकटेश्वर को भगवान विष्णु का सबसे दयालु और सुलभ रूप माना जाता है।
- दर्शन: मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर के दर्शन के लिए हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं।
वास्तुकला:
- द्रविड़ शैली: मंदिर द्रविड़ शैली की वास्तुकला का एक उत्कृष्ट नमूना है।
- ग्रेनाइट पत्थर: मंदिर का निर्माण पूरी तरह ग्रेनाइट पत्थर से हुआ है।
- विशाल परिसर: मंदिर परिसर 300 एकड़ में फैला हुआ है।
- गोपुरम: मंदिर में सात गोपुरम (द्वार टावर) हैं, जिनमें से सबसे ऊँचा 236 फीट ऊँचा है।
- मंडपम: मंदिर में कई मंडपम (पवेलियन) हैं, जिनमें नक्काशीदार स्तंभ और भित्ति चित्र हैं।
- विमान: विमान (शिखर) 220 फीट ऊँचा है और इसमें सोने की परत है।
विशेषताएं:
- भगवान वेंकटेश्वर की प्रतिमा: मंदिर की मुख्य प्रतिमा भगवान वेंकटेश्वर की है, जो 7 फीट ऊँची है।
- अभिषेक: भगवान वेंकटेश्वर की प्रतिमा पर प्रतिदिन अभिषेक (पवित्र स्नान) किया जाता है।
- लड्डू प्रसाद: मंदिर अपने स्वादिष्ट लड्डू प्रसाद के लिए भी जाना जाता है। हर दिन लाखों लड्डू वितरित किए जाते हैं।
- तिरुपति बालाजी: मंदिर परिसर में भगवान विष्णु के बाल रूप भगवान बालाजी का भी एक मंदिर है।
क्यों जाएं:
- आध्यात्मिक अनुभव: मंदिर में एक शांत और आध्यात्मिक वातावरण है।
- भव्य वास्तुकला: मंदिर द्रविड़ शैली की वास्तुकला का एक उत्कृष्ट नमूना है।
- धार्मिक महत्व: यह वैष्णव संप्रदाय के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है।
- दर्शन: भगवान वेंकटेश्वर के दर्शन करना एक अविस्मरणीय अनुभव है।
अतिरिक्त जानकारी:
- प्रवेश शुल्क: मुफ्त
- समय: सुबह 3 बजे से रात 11 बजे तक
- स्थान: तिरुपति, चित्तूर जिला, आंध्र प्रदेश, भारत
- कैसे पहुंचें: तिरुपति हवाई अड्डे, रेलवे स्टेशन और बस स्टेशन से आसानी से पहुँचा जा सकता है।
तिरुपति वेंकटेश्वर मंदिर केवल एक मंदिर नहीं है, बल्कि यह भक्ति, आस्था और चमत्कारों का प्रतीक है। यहां आकर आप निश्चित रूप से एक अविस्मरणीय अनुभव प्राप्त करेंगे।
तिरुपति वेंकटेश्वर मंदिर आने वाले भक्तों के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातें:
- दर्शन: मंदिर में दर्शन के लिए निःशुल्क प्रवेश है, लेकिन तिरुमला (पहाड़ी पर जहां मंदिर स्थित है) में प्रवेश के लिए विशेष टिकटों की आवश्यकता होती है। व्यवस्था बनाए रखने के लिए दर्शन के लिए ऑनलाइन स्लॉट बुकिंग की भी सलाह दी जाती है।
- ड्रेस कोड: मंदिर में पुरुषों को धोती या कुर्ता-पायजामा और महिलाओं को साड़ी या सलवार कमीज पहनना आवश्यक है।
- प्रसाद: मंदिर में प्रसाद के रूप में लड्डू का वितरण किया जाता है। आप मंदिर के बाहर से भी लड्डू खरीद सकते हैं।
आप तिरुपति की यात्रा के दौरान निम्नलिखित स्थानों को भी देख सकते हैं:
- अप्पाची मंदिर: भगवान वेंकटेश्वर की पत्नी माता पद्मावती को समर्पित मंदिर।
- अकश गंगा: तिरुमला की सबसे ऊंची चोटी पर स्थित एक प्राकृतिक झरना।
- स्वर्ण भंडार: मंदिर का खजाना जिसमें भक्तों द्वारा दान किए गए सोने और चांदी के गहने रखे जाते हैं।
तिरुपति वेंकटेश्वर मंदिर की यात्रा निश्चित रूप से आपको आध्यात्मिक शांति और आशीर्वाद प्रदान करेगी।
2. मीनाक्षी मंदिर, मदुरई, तमिलनाडु
मीनाक्षी मंदिर, जिसे मीनाक्षी अम्मन मंदिर भी कहा जाता है, तमिलनाडु के मदुरई शहर में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। यह देवी मीनाक्षी (पार्वती) को समर्पित है, जो भगवान शिव की पत्नी हैं। यह मंदिर अपनी भव्य वास्तुकला, विशाल गोपुरम (द्वार टावर) और रंगीन मूर्तियों के लिए जाना जाता है।
इतिहास:
- 7वीं शताब्दी: मंदिर का निर्माण 7वीं शताब्दी में पांड्य राजाओं द्वारा किया गया था।
- 16वीं-17वीं शताब्दी: मंदिर का जीर्णोद्धार और विस्तार 16वीं और 17वीं शताब्दी में विजयनगर साम्राज्य द्वारा किया गया था।
- धार्मिक महत्व: यह मंदिर शैव संप्रदाय के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। यह तमिलनाडु के सबसे महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है।
वास्तुकला:
- द्रविड़ शैली: मंदिर द्रविड़ शैली की वास्तुकला का एक उत्कृष्ट नमूना है।
- ग्रेनाइट पत्थर: मंदिर का निर्माण पूरी तरह ग्रेनाइट पत्थर से हुआ है।
- विशाल परिसर: मंदिर परिसर 15 एकड़ में फैला हुआ है।
- गोपुरम: मंदिर में 14 गोपुरम (द्वार टावर) हैं, जिनमें से सबसे ऊँचा 149 फीट ऊँचा है।
- मंडपम: मंदिर में कई मंडपम (पवेलियन) हैं, जिनमें नक्काशीदार स्तंभ और भित्ति चित्र हैं।
- विमान: विमान (शिखर) 160 फीट ऊँचा है और इसमें सोने की परत है।
विशेषताएं:
- देवी मीनाक्षी की प्रतिमा: मंदिर की मुख्य प्रतिमा देवी मीनाक्षी की है, जो 9 फीट ऊँची है।
- भगवान शिव की प्रतिमा: मंदिर में भगवान शिव की कई प्रतिमाएं भी हैं।
- हजारों स्तंभ: मंदिर में हजारों स्तंभ हैं जो नक्काशीदार मूर्तियों से सजे हुए हैं।
- तिरुक्कल्याणम: हर शुक्रवार को मंदिर में देवी मीनाक्षी और भगवान शिव का विवाह समारोह (तिरुक्कल्याणम) मनाया जाता है।
क्यों जाएं:
- आध्यात्मिक अनुभव: मंदिर में एक शांत और आध्यात्मिक वातावरण है।
- भव्य वास्तुकला: मंदिर द्रविड़ शैली की वास्तुकला का एक उत्कृष्ट नमूना है।
- ऐतिहासिक महत्व: मंदिर का 7वीं शताब्दी का इतिहास है।
- धार्मिक महत्व: यह शैव संप्रदाय के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है।
अतिरिक्त जानकारी:
- प्रवेश शुल्क: ₹15 (भारतीय नागरिक) / ₹200 (विदेशी नागरिक)
- समय: सुबह 5 बजे से रात 11 बजे तक
- स्थान: मदुरई, तमिलनाडु, भारत
- कैसे पहुंचें: मदुरई हवाई अड्डे, रेलवे स्टेशन और बस स्टेशन से आसानी से पहुँचा जा सकता है।
मीनाक्षी मंदिर केवल एक मंदिर नहीं है, बल्कि यह दक्षिण भारत की समृद्ध संस्कृति और धार्मिक विरासत का प्रतीक है। यहां आकर आप निश्चित रूप से एक अविस्मरणीय अनुभव प्राप्त करेंगे।
3. रमेश्वरम का रामनाथस्वामी मंदिर, तमिलनाडु
रामेश्वरम का रामनाथस्वामी मंदिर, जिसे श्री रामनाथस्वामी मंदिर भी कहा जाता है, तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। यह भगवान राम को समर्पित है और इसे भारत के चार धामों में से एक माना जाता है।
इतिहास:
- 12वीं शताब्दी: मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में चोल राजाओं द्वारा किया गया था।
- धार्मिक महत्व: यह मंदिर भगवान राम के जीवन से जुड़ा हुआ है। ऐसा माना जाता है कि भगवान राम ने यहां रावण से युद्ध करने के लिए सेतु (रामसेतु) का निर्माण किया था।
- पवित्र तीर्थ: यह मंदिर हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। हर साल लाखों श्रद्धालु यहां दर्शन करने आते हैं।
वास्तुकला:
- द्रविड़ शैली: मंदिर द्रविड़ शैली की वास्तुकला का एक उत्कृष्ट नमूना है।
- ग्रेनाइट पत्थर: मंदिर का निर्माण पूरी तरह ग्रेनाइट पत्थर से हुआ है।
- विशाल परिसर: मंदिर परिसर 64 एकड़ में फैला हुआ है।
- गोपुरम: मंदिर में 22 गोपुरम (द्वार टावर) हैं, जिनमें से सबसे ऊँचा 136 फीट ऊँचा है।
- मंडपम: मंदिर में कई मंडपम (पवेलियन) हैं, जिनमें नक्काशीदार स्तंभ और भित्ति चित्र हैं।
- विमान: विमान (शिखर) 167 फीट ऊँचा है और इसमें सोने की परत है।
विशेषताएं:
- भगवान राम की प्रतिमा: मंदिर की मुख्य प्रतिमा भगवान राम की है, जो 12 फीट ऊँची है।
- रामसेतु: मंदिर के पास रामसेतु के अवशेष देखे जा सकते हैं।
- तीर्थ कुंड: मंदिर परिसर में 22 तीर्थ कुंड (पवित्र तालाब) हैं।
- गोदावरी कुंड: गोदावरी कुंड एक पवित्र तालाब है जिसके बारे में माना जाता है कि इसमें नदी गंगा का जल बहता है।
क्यों जाएं:
- आध्यात्मिक अनुभव: मंदिर में एक शांत और आध्यात्मिक वातावरण है।
- भव्य वास्तुकला: मंदिर द्रविड़ शैली की वास्तुकला का एक उत्कृष्ट नमूना है।
- ऐतिहासिक महत्व: मंदिर का 12वीं शताब्दी का इतिहास है।
- धार्मिक महत्व: यह हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है।
अतिरिक्त जानकारी:
- प्रवेश शुल्क: ₹15 (भारतीय नागरिक) / ₹200 (विदेशी नागरिक)
- समय: सुबह 5 बजे से रात 11 बजे तक
- स्थान: रामेश्वरम, रामनाथपुरम जिला, तमिलनाडु, भारत
- कैसे पहुंचें: रामेश्वरम हवाई अड्डे से बस या टैक्सी द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है।
रामेश्वरम का रामनाथस्वामी मंदिर केवल एक मंदिर नहीं है, बल्कि यह भक्ति और आस्था का प्रतीक है। यहां आकर आप निश्चित रूप से एक अविस्मरणीय अनुभव प्राप्त करेंगे।
यहां कुछ अन्य मंदिर हैं जो आपके रुचि के हो सकते हैं:
- बृहदेश्वर मंदिर, तंजावुर
- मीनाक्षी मंदिर, मदुराई
- **श्री रंगनाथ
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4. बृहदेश्वर मंदिर, तंजावुर, तमिलनाडु
इतिहास:
- 11वीं शताब्दी: चोल राजा राजराज प्रथम द्वारा निर्मित।
- मंदिर का नाम: राजराज चोलम, बृहत् (बड़ा), ईश्वर (भगवान शिव)।
- विश्व धरोहर स्थल: 1987 में यूनेस्को द्वारा घोषित।
वास्तुकला:
- दक्षिण भारतीय शैली: विशाल गोपुरम, विमान (vimana), मंडप (pavilion) और नक्काशीदार स्तंभों (pillars) का समावेश है।
- विशालता: 13 मंजिला गोपुरम, 130 फीट ऊँचा विमान, 1000 टन वजन वाला नंदी।
- ग्रेनाइट पत्थर: मंदिर का निर्माण पूरी तरह ग्रेनाइट पत्थर से हुआ है।
- मूर्तियां: भगवान शिव, देवी पार्वती, अन्य देवी-देवताओं और नृत्य करने वाली अप्सराओं की मूर्तियां।
मान्यताएं:
- भगवान शिव का निवास: यहाँ भगवान शिव निवास करते हैं।
- मोक्ष प्राप्ति: मंदिर में दर्शन करने से मोक्ष प्राप्ति होती है।
- समृद्धि और शांति: भगवान शिव की कृपा से समृद्धि और शांति प्राप्त होती है।
क्यों जाएं:
- दक्षिण भारत की वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना: भारतीय मंदिर वास्तुकला का बेहतरीन उदाहरण।
- ऐतिहासिक महत्व: चोल साम्राज्य की शक्ति और समृद्धि का प्रतीक।
- आध्यात्मिक अनुभव: शांत वातावरण और भक्तिमय माहौल।
- यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल: अपनी विशिष्टता और महत्व के लिए मान्यता प्राप्त।
अतिरिक्त जानकारी:
- प्रवेश शुल्क: ₹30 (भारतीय नागरिक) / ₹500 (विदेशी नागरिक)
- समय: सुबह 6 बजे से दोपहर 12 बजे तक और शाम 4 बजे से रात 8:30 बजे तक
- स्थान: तंजावुर शहर, तमिलनाडु, भारत
- कैसे पहुंचें: हवाई, रेल और सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
बृहदेश्वर मंदिर केवल एक मंदिर नहीं है, यह दक्षिण भारत की कला, संस्कृति और इतिहास का खजाना है। यहां आकर आप निश्चित रूप से एक अविस्मरणीय अनुभव प्राप्त करेंगे
5. श्री कृष्ण मंदिर गुरुवायूर, केरल
श्री कृष्ण मंदिर गुरुवायूर, जिसे गुरुवायुरप्पन मंदिर भी कहा जाता है, केरल के त्रिशूर जिले में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। यह भगवान कृष्ण को समर्पित है और इसे दक्षिण का द्वारका माना जाता है। मंदिर अपनी भव्यता, आध्यात्मिक वातावरण और चमत्कारों के लिए जाना जाता है।
इतिहास:
- 8वीं शताब्दी: मंदिर का निर्माण 8वीं शताब्दी में चेर राजाओं द्वारा किया गया था।
- धार्मिक महत्व: यह मंदिर भगवान विष्णु के अवतार भगवान कृष्ण को समर्पित है। यह वैष्णव संप्रदाय के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है।
- चमत्कार: मंदिर कई चमत्कारों के लिए जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान कृष्ण स्वयं मंदिर में विराजमान हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
वास्तुकला:
- केरल शैली: मंदिर केरल शैली की वास्तुकला का एक उत्कृष्ट नमूना है।
- लकड़ी और तांबे का निर्माण: मंदिर का निर्माण लकड़ी और तांबे से हुआ है।
- गोपुरम: मंदिर में एक 140 फीट ऊँचा गोपुरम (द्वार टावर) है।
- श्रीकोविल: श्रीकोविल (गर्भगृह) में भगवान कृष्ण की बाल रूप की प्रतिमा स्थापित है।
- नंदनवन: मंदिर परिसर में एक सुंदर नंदनवन (बगीचा) है।
विशेषताएं:
- भगवान कृष्ण की प्रतिमा: मंदिर की मुख्य प्रतिमा भगवान कृष्ण की बाल रूप की है, जो 18 इंच ऊँची है।
- अभिषेक: भगवान कृष्ण की प्रतिमा पर प्रतिदिन अभिषेक (पवित्र स्नान) किया जाता है।
- पंचाभिषेक: हर महीने की पंचमी तिथि को भगवान कृष्ण का पंचाभिषेक (पांच पवित्र स्नान) किया जाता है।
- उत्सव: मंदिर में कई उत्सव मनाए जाते हैं, जिनमें ओणम, विष्णु, और कृष्ण जन्माष्टमी शामिल हैं।
क्यों जाएं:
- आध्यात्मिक अनुभव: मंदिर में एक शांत और आध्यात्मिक वातावरण है।
- भव्य वास्तुकला: मंदिर केरल शैली की वास्तुकला का एक उत्कृष्ट नमूना है।
- धार्मिक महत्व: यह वैष्णव संप्रदाय के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है।
- चमत्कार: मंदिर कई चमत्कारों के लिए जाना जाता है।
अतिरिक्त जानकारी:
- प्रवेश शुल्क: मुफ्त
- समय: सुबह 3:30 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक और शाम 5 बजे से रात 9 बजे तक
- स्थान: गुरुवायूर, त्रिशूर जिला, केरल, भारत
- कैसे पहुंचें: गुरुवायूर हवाई अड्डे, रेलवे स्टेशन और बस स्टेशन से आसानी से पहुँचा जा सकता है।
श्री कृष्ण मंदिर गुरुवायूर केवल एक मंदिर नहीं है, बल्कि यह भक्ति और आस्था का प्रतीक है। यहां आकर आप निश्चित रूप से एक अविस्मरणीय अनुभव प्राप्त करेंगे।
यहां कुछ अन्य मंदिर हैं जो आपके रुचि के हो सकते हैं:
- बृहदेश्वर मंदिर, तंजावुर
- मीनाक्षी मंदिर, मदुरई
- **श्री रंगनाथस्व
6. सुचिंद्रम मंदिर, जिसे स्थानुमलयन मंदिर भी कहा जाता है
सुचिंद्रम मंदिर, जिसे स्थानुमलयन मंदिर भी कहा जाता है, कन्याकुमारी जिले में स्थित एक प्राचीन और भव्य हिंदू मंदिर है। यह मंदिर भगवान शिव, विष्णु और ब्रह्मा को समर्पित है, जो इसे एक अद्वितीय और महत्वपूर्ण तीर्थस्थल बनाता है।
इतिहास:
- 8वीं शताब्दी: मंदिर का निर्माण 8वीं शताब्दी में चोल राजाओं द्वारा किया गया था।
- 17वीं शताब्दी: मंदिर का जीर्णोद्धार 17वीं शताब्दी में त्रावणकोर के महाराजाओं द्वारा किया गया था।
- धार्मिक महत्व: यह मंदिर हिंदू धर्म के तीन प्रमुख देवताओं – शिव, विष्णु और ब्रह्मा – का एक साथ निवास स्थान होने के लिए जाना जाता है।
- आध्यात्मिक त्रिकोण: Suchindram, Travancore और Tiruchendur को मिलाकर “आध्यात्मिक त्रिकोण” बनता है।
वास्तुकला:
- द्रविड़ शैली: मंदिर द्रविड़ शैली की वास्तुकला का एक शानदार उदाहरण है।
- तीन मंदिर परिसर: मंदिर परिसर में तीन अलग-अलग मंदिर हैं – भगवान शिव, विष्णु और ब्रह्मा को समर्पित।
- गोपुरम: मंदिर में तीन गोपुरम (द्वार टावर) हैं, जिनमें से सबसे ऊँचा 144 फीट ऊँचा है।
- मंडपम: मंदिर में कई मंडपम (पवेलियन) हैं, जिनमें नक्काशीदार स्तंभ और भित्ति चित्र हैं।
मान्यताएं:
- आध्यात्मिक शक्ति: ऐसा माना जाता है कि मंदिर में एक अद्भुत आध्यात्मिक शक्ति है।
- पापों का नाश: यह माना जाता है कि मंदिर में दर्शन करने से पापों का नाश होता है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
- मोक्ष प्राप्ति: मंदिर में दर्शन करने से मोक्ष प्राप्ति की संभावना होती है।
क्यों जाएं:
- अद्वितीय मंदिर: यह एकमात्र ऐसा मंदिर है जो भगवान शिव, विष्णु और ब्रह्मा को एक साथ समर्पित है।
- भव्य वास्तुकला: मंदिर द्रविड़ शैली की वास्तुकला का एक उत्कृष्ट नमूना है।
- आध्यात्मिक अनुभव: मंदिर में एक शांत और आध्यात्मिक वातावरण है।
- ऐतिहासिक महत्व: मंदिर का 8वीं शताब्दी का इतिहास है।
अतिरिक्त जानकारी:
- प्रवेश शुल्क: ₹30 (भारतीय नागरिक) / ₹500 (विदेशी नागरिक)
- समय: सुबह 6 बजे से दोपहर 1 बजे तक और शाम 4 बजे से रात 8 बजे तक
- स्थान: Suchindram, कन्याकुमारी जिला, तमिलनाडु, भारत
- कैसे पहुंचें: कन्याकुमारी से बस या टैक्सी द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है।
Suchindram Temple केवल एक मंदिर नहीं है, बल्कि यह दक्षिण भारत की समृद्ध संस्कृति और धार्मिक विरासत का प्रतीक है। यहां आकर आप निश्चित रूप से एक अविस्मरणीय अनुभव प्राप्त करेंगे।
7. श्री रंगनाथस्वामी मंदिर, श्रीरंगपटना, कर्नाटक
श्री रंगनाथस्वामी मंदिर, जिसे श्रीरंगपट्टन मंदिर भी कहा जाता है, कर्नाटक के मंड्या जिले में श्रीरंगपट्टन शहर में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। यह भगवान विष्णु के एक रूप, भगवान रंगनाथ को समर्पित है।
इतिहास:
- 9वीं शताब्दी: मंदिर का निर्माण 9वीं शताब्दी में गंगा वंश के राजाओं द्वारा किया गया था।
- 16वीं-17वीं शताब्दी: विजयनगर साम्राज्य और मैसूर के वोडेयार राजाओं द्वारा इसका जीर्णोद्धार किया गया था।
- धार्मिक महत्व: यह मंदिर वैष्णव संप्रदाय के 108 पवित्र वैष्णव मंदिरों में से एक है। यह भगवान रंगनाथ के भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है।
वास्तुकला:
- द्रविड़ शैली: मंदिर द्रविड़ शैली की वास्तुकला का एक उत्कृष्ट नमूना है।
- ग्रेनाइट पत्थर: मंदिर का निर्माण पूरी तरह ग्रेनाइट पत्थर से हुआ है।
- विशाल परिसर: मंदिर परिसर 250 एकड़ में फैला हुआ है।
- गोपुरम: मंदिर में सात गोपुरम (द्वार टावर) हैं, जिनमें से सबसे ऊँचा 236 फीट ऊँचा है।
- मंडपम: मंदिर में कई मंडपम (पवेलियन) हैं, जिनमें नक्काशीदार स्तंभ और भित्ति चित्र हैं।
- विमान: विमान (शिखर) 188 फीट ऊँचा है और इसमें सोने की परत है।
विशेषताएं:
- भगवान रंगनाथ की विशाल प्रतिमा: मंदिर की मुख्य प्रतिमा भगवान रंगनाथ की है, जो 21 फीट लंबी है और शेषनाग (सर्प भगवान) पर लेटी हुई है।
- रंगमंडप: रंगमंडप (नृत्य मंडप) में भगवान रंगनाथ की प्रतिमा को प्रतिदिन नृत्य और संगीत के साथ स्नान कराया जाता है।
- पुष्करिणी: मंदिर परिसर में एक पवित्र पुष्करिणी (तालाब) है, जिसमें भक्त स्नान करते हैं।
क्यों जाएं:
- आध्यात्मिक अनुभव: मंदिर में एक शांत और आध्यात्मिक वातावरण है।
- भव्य वास्तुकला: मंदिर द्रविड़ शैली की वास्तुकला का एक उत्कृष्ट नमूना है।
- ऐतिहासिक महत्व: मंदिर का 9वीं शताब्दी का इतिहास है।
- धार्मिक महत्व: यह वैष्णव संप्रदाय के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है।
अतिरिक्त जानकारी:
- प्रवेश शुल्क: ₹30 (भारतीय नागरिक) / ₹500 (विदेशी नागरिक)
- समय: सुबह 6 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक और शाम 3:30 बजे से रात 8 बजे तक
- स्थान: श्रीरंगपट्टन, मंड्या जिला, कर्नाटक, भारत
- कैसे पहुंचें: बेंगलुरु से बस या ट्रेन द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है।
श्री रंगनाथस्वामी मंदिर केवल एक मंदिर नहीं है, बल्कि यह कर्नाटक के समृद्ध इतिहास और संस्कृति की झलक है। यहां आकर आप निश्चित रूप से एक अविस्मरणीय अनुभव प्राप्त करेंगे।tunesharemore_vert
8. विरुपाक्ष मंदिर, हampi, कर्नाटक
विरुपाक्ष मंदिर, जिसे पम्पा मंदिर भी कहा जाता है, कर्नाटक राज्य के हम्पी शहर में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। यह भगवान शिव के रूप, भगवान विरूपाक्ष को समर्पित है।
इतिहास:
- 7वीं शताब्दी: मंदिर का निर्माण 7वीं शताब्दी में चालुक्य राजाओं द्वारा किया गया था।
- 14वीं-16वीं शताब्दी: विजयनगर साम्राज्य द्वारा इसका जीर्णोद्धार और विस्तार किया गया था।
- धार्मिक महत्व: यह मंदिर कर्नाटक के सबसे महत्वपूर्ण शिव मंदिरों में से एक है। यह शैव संप्रदाय के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है।
वास्तुकला:
- द्रविड़ शैली: मंदिर द्रविड़ शैली की वास्तुकला का एक उत्कृष्ट नमूना है।
- ग्रेनाइट पत्थर: मंदिर का निर्माण पूरी तरह ग्रेनाइट पत्थर से हुआ है।
- विशाल परिसर: मंदिर परिसर 50 एकड़ में फैला हुआ है।
- गोपुरम: मंदिर में नौ गोपुरम (द्वार टावर) हैं, जिनमें से सबसे ऊँचा 190 फीट ऊँचा है।
- मंडपम: मंदिर में कई मंडपम (पवेलियन) हैं, जिनमें नक्काशीदार स्तंभ और भित्ति चित्र हैं।
- विमान: विमान (शिखर) 160 फीट ऊँचा है और इसमें सोने की परत है।
विशेषताएं:
- भगवान विरूपाक्ष की विशाल प्रतिमा: मंदिर की मुख्य प्रतिमा भगवान विरूपाक्ष की है, जो 9 फीट ऊँची है।
- नंदी मंडप: नंदी मंडप में भगवान शिव के वाहन नंदी की विशाल प्रतिमा है।
- विजयनगर साम्राज्य के अवशेष: मंदिर परिसर में विजयनगर साम्राज्य के कई ऐतिहासिक अवशेष हैं, जैसे कि रथ, मंडप और मूर्तियां।
क्यों जाएं:
- आध्यात्मिक अनुभव: मंदिर में एक शांत और आध्यात्मिक वातावरण है।
- भव्य वास्तुकला: मंदिर द्रविड़ शैली की वास्तुकला का एक उत्कृष्ट नमूना है।
- ऐतिहासिक महत्व: मंदिर का 7वीं शताब्दी का इतिहास है।
- धार्मिक महत्व: यह शैव संप्रदाय के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है।
अतिरिक्त जानकारी:
- प्रवेश शुल्क: ₹30 (भारतीय नागरिक) / ₹500 (विदेशी नागरिक)
- समय: सुबह 6 बजे से दोपहर 1 बजे तक और शाम 3:30 बजे से रात 8 बजे तक
- स्थान: हम्पी, बल्लारी जिला, कर्नाटक, भारत
- कैसे पहुंचें: हम्पी हवाई अड्डे से बस या टैक्सी द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है।
विरुपाक्ष मंदिर केवल एक मंदिर नहीं है, बल्कि यह दक्षिण भारत के समृद्ध इतिहास और संस्कृति का प्रतीक है। यहां आकर आप निश्चित रूप से एक अविस्मरणीय अनुभव प्राप्त करेंगे।
अतिरिक्त जानकारी:
- हम्पी: हम्पी एक प्राचीन शहर है जो कभी विजयनगर साम्राज्य की राजधानी था। यह यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल है और इसमें कई ऐतिहासिक स्मारक हैं।
- विजयनगर साम्राज्य: विजयनगर साम्राज्य 14वी
9. ऐ होले और पट्टदकल के मंदिर, कर्नाटक
ऐ होले और पट्टदकल के मंदिर: द्रविड़ और उत्तर भारतीय शैली का संगम
ऐ होले और पट्टदकल, कर्नाटक राज्य में स्थित दो प्राचीन शहर हैं, जो अपने भव्य मंदिरों के लिए प्रसिद्ध हैं। ये मंदिर 5वीं से 8वीं शताब्दी के बीच निर्मित किए गए थे और द्रविड़ और उत्तर भारतीय शैली के वास्तुशिल्पीय तत्वों का एक अनूठा मिश्रण प्रदर्शित करते हैं। इस कारण से, 1987 में इन्हें यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में घोषित किया गया था।
ऐ होले में 150 से अधिक मंदिर हैं, जिनमें से दुर्गा मंदिर, लडखन मंदिर और हुचप्पणगुंडी मंदिर सबसे प्रसिद्ध हैं। ये मंदिर भगवान शिव, विष्णु और देवी दुर्गा को समर्पित हैं। इन मंदिरों की दीवारों पर जटिल नक्काशी और भित्ति चित्र हैं जो हिंदू पौराणिक कथाओं के दृश्यों को दर्शाते हैं।
पट्टदकल में 10 प्रमुख मंदिर हैं, जिनमें विरुपाक्ष मंदिर, लोकनाथ मंदिर और जैन मंदिर सबसे प्रसिद्ध हैं। ये मंदिर भी भगवान शिव, विष्णु और जैन तीर्थंकरों को समर्पित हैं। पट्टदकल के मंदिर ऐ होले के मंदिरों की तुलना में अधिक परिष्कृत हैं और उनमें अधिक ऊंचे गोपुरम (द्वार टावर) हैं।
द्रविड़ और उत्तर भारतीय शैली का मिश्रण
ऐ होले और पट्टदकल के मंदिर द्रविड़ और उत्तर भारतीय शैली के वास्तुशिल्पीय तत्वों का एक अनूठा मिश्रण प्रदर्शित करते हैं। द्रविड़ शैली के तत्वों में शामिल हैं:
- विमान (शिखर): मंदिरों के ऊपर ऊंचे और नुकीले शिखर।
- गोपुरम (द्वार टावर): मंदिर के प्रवेश द्वार पर ऊंचे और बहुमंजिला टावर।
- मंडपम (पवेलियन): मंदिर परिसर के अंदर खुले पवेलियन।
उत्तर भारतीय शैली के तत्वों में शामिल हैं:
- नागारा शिखर: मंदिरों के ऊपर गोल और घुमावदार शिखर।
- अंतराल (मंडप): मंदिर के गर्भगृह और गोपुरम के बीच एक मध्यस्थ कक्ष।
- शिलालेख: मंदिरों की दीवारों पर उत्कीर्ण शिलालेख जो उनके इतिहास और महत्व के बारे में जानकारी देते हैं।
ऐ होले और पट्टदकल के मंदिर भारत के समृद्ध इतिहास और संस्कृति का प्रतीक हैं। यहां आकर आप निश्चित रूप से एक अविस्मरणीय अनुभव प्राप्त करेंगे।
अतिरिक्त जानकारी:
- प्रवेश शुल्क: ₹25 (भारतीय नागरिक) / ₹500 (विदेशी नागरिक)
- समय: सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे तक
- स्थान: ऐ होले और पट्टदकल, बागलकोट जिला, कर्नाटक, भारत
- कैसे पहुंचें: बैंगलोर या हम्पी से बस या ट्रेन द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है।
यहां कुछ अन्य मंदिर हैं जो आपके रुचि के हो सकते हैं:
- बृहदेश्वर मंदिर, तंजावुर
- मीनाक्षी मंदिर, मदुराई
- श्री रंगनाथस्वामी मंदिर, श्रीरंगपट्टन
- **विरुपा
10. अय्यप्पा मंदिर, सबरीमाला, केरल
अय्यप्पा मंदिर, जिसे श्री अय्यप्पा स्वामी मंदिर भी कहा जाता है, केरल के पठानमथिट्टा जिले में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। यह भगवान अय्यप्पा को समर्पित है, जो भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र माने जाते हैं। मंदिर पश्चिमी घाटों में स्थित है और इसे दुनिया के सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में से एक माना जाता है।
इतिहास:
- प्राचीन मंदिर: मंदिर का इतिहास 8वीं शताब्दी का है।
- धार्मिक महत्व: मंदिर हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण तीर्थस्थलों में से एक है। यह विशेष रूप से अय्यप्पा के भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है, जो हर साल मंदिर में दर्शन करने के लिए आते हैं।
वास्तुकला:
- पहाड़ी पर स्थित: मंदिर एक पहाड़ी पर स्थित है और इसे तक पहुंचने के लिए 18 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं।
- ग्रेनाइट पत्थर: मंदिर का निर्माण ग्रेनाइट पत्थर से हुआ है।
- शांत वातावरण: मंदिर एक शांत और आध्यात्मिक वातावरण में स्थित है।
विशेषताएं:
- भगवान अय्यप्पा की प्रतिमा: मंदिर की मुख्य प्रतिमा भगवान अय्यप्पा की है, जो 18 फीट ऊँची है।
- अभिषेक: भगवान अय्यप्पा की प्रतिमा पर प्रतिदिन अभिषेक (पवित्र स्नान) किया जाता है।
- माला: अय्यप्पा के भक्त 41 दिनों तक व्रत रखते हैं और माला पहनते हैं।
- पंपा नदी: मंदिर पंपा नदी के तट पर स्थित है, जो एक पवित्र नदी है।
क्यों जाएं:
- आध्यात्मिक अनुभव: मंदिर में एक शांत और आध्यात्मिक वातावरण है।
- प्राकृतिक सुंदरता: मंदिर पश्चिमी घाटों की प्राकृतिक सुंदरता के बीच स्थित है।
- धार्मिक महत्व: यह हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण तीर्थस्थलों में से एक है।
- साहसिक अनुभव: मंदिर तक पहुंचने के लिए 18 सीढ़ियां चढ़ना एक साहसिक अनुभव है।
अतिरिक्त जानकारी:
- प्रवेश शुल्क: मुफ्त
- समय: मंदिर साल में केवल कुछ महीनों के लिए खुला रहता है (नवंबर-जनवरी)।
- स्थान: सबरीमाला, पठानमथिट्टा जिला, केरल, भारत
- कैसे पहुंचें: सबरीमाला हवाई अड्डे से बस या टैक्सी द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है।
अय्यप्पा मंदिर केवल एक मंदिर नहीं है, बल्कि यह भक्ति और आध्यात्मिकता का प्रतीक है। यहां आकर आप निश्चित रूप से एक अविस्मरणीय अनुभव प्राप्त करेंगे।
ध्यान दें: मंदिर में प्रवेश करने के लिए कुछ सख्त नियम हैं। मंदिर में प्रवेश करने से पहले इन नियमों के बारे में पता होना महत्वपूर्ण है।
यहां कुछ अन्य मंदिर हैं जो आपके रुचि के हो सकते हैं:
- बृहदेश्वर मंदिर, तंजावुर
- मीनाक्षी मंदिर, मदुराई
- श्री रंगनाथस्वामी मंदिर, श्रीरंगपट्टन
- विरुपाक्ष मंदिर, हम्पी
- Suchindram Temple, Kanyakumari