वृंदावन, भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं की पावन धरती पर, एक ऐसा मंदिर विराजमान है, जो अपनी अद्वितीय कहानी, अनूठी मूर्ति और अद्भुत वास्तुकला से श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर देता है। यह मंदिर है बांके बिहारी मंदिर, जिसकी ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई है। आइए, आज हम आपको इस मंदिर के इतिहास और वास्तुकला के बारे में बताते हैं।
इतिहास की झलकियां
बांके बिहारी मंदिर का इतिहास 19वीं शताब्दी की ओर जाता है। कहा जाता है कि वर्ष 1860 में एक किसान को अपनी जमीन पर एक काले रंग की मूर्ति मिली थी। मूर्ति को देखते ही किसान की आंखें खुली गईं। वह समझ गया कि यह मूर्ति साधारण नहीं है, बल्कि भगवान श्री कृष्ण की ही है। उस समय इस क्षेत्र में निधिवन नामक एक घना जंगल था, जहां कई तरह के खजाने छिपे हुए थे। इसलिए मूर्ति को निधिवन वन में ही रख दिया गया।
मूर्ति मिलने की खबर जंगल में फैल गई और देखते-देखते भक्तों का तांता लग गया। लोग निधिवन आने लगे और मूर्ति की पूजा करने लगे। इसी बीच, एक भक्त, स्वामी हरिदास ने मूर्ति की पूजा करने का संकल्प लिया। उन्होंने निधिवन में रहना शुरू कर दिया और मूर्ति की निष्ठा से पूजा की। कहा जाता है कि स्वामी हरिदास की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें दर्शन दिए और बताया कि उनका नाम बांके बिहारी है।
भगवान श्री कृष्ण की कृपा से स्वामी हरिदास की ख्याति दूर-दूर तक फैल गई और उनके पास भक्तों का तांता लग गया। उन्होंने भक्तों को बांके बिहारी की पूजा करना सिखाया और इसी तरह बांके बिहारी की पूजा करने की परंपरा शुरू हुई।
वास्तुकला का अद्भुत नमूना
बांके बिहारी मंदिर की वास्तुकला भी उतनी ही अद्भुत है, जितनी उसकी कहानी है। मंदिर का बाहरी भाग सफेद संगमरमर से बना है और इसमें जटिल नक्काशी की गई है। मंदिर की तीन मंजिलें हैं और प्रत्येक मंजिल पर अलग-अलग तरह की कलाकृतियां हैं। मंदिर का मुख्य द्वार बहुत ही भव्य है और इस पर देवी-देवताओं की मूर्तियां बनी हुई हैं।
मंदिर के गर्भगृह में भगवान श्री कृष्ण की एक चमत्कारी मूर्ति है। मूर्ति काले रंग की है और इसकी बनावट इतनी नाजुक है कि इसे छूने की अनुमति नहीं है। मूर्ति को तीन रंगों के वस्त्रों में सजाया जाता है और यह हर दिन बदल दिए जाते हैं। कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण को नए वस्त्र पहनना बहुत पसंद है, इसलिए उनकी मूर्ति के वस्त्र हर दिन बदल दिए जाते हैं।
बांके बिहारी वृन्दावन की तस्वीर
मंदिर की विशेषताएं
बांके बिहारी मंदिर की कई विशेषताओं में से कुछ निम्नलिखित हैं:
- मंदिर में हर दिन हजारों भक्त आते हैं और बांके बिहारी की पूजा करते हैं।
- मंदिर में हर दिन कई बार आरती होती है। आरती के दौरान मंदिर में एक विशेष प्रकार का संगीत बजाया जाता है और भक्त मंत्रों का जाप करते हैं।
- मंदिर में हर साल कई त्योहार मनाए जाते हैं। इन त्योहारों में होली, दिवाली और जन्माष्टमी शामिल हैं। त्योहारों के दौरान मंदिर को विशेष रूप से सजाया जाता है और भक्तों का तांता लगा रहता है।
- मंदिर में एक संग्रहालय भी है जिसमें मंदिर के इतिहास से जुड़ी